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लेखनी कहानी -16-Feb-2022 (शिक्षा या व्यापार )

शिक्षा या व्यापार

शिक्षा का व्यापार इस संसार का कड़वा सच है। कुछ वर्षों से ये व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। और आगे भी बढ़ता जाएगा।
इसे रोकने का उपाय सरकारी स्कूल सरकारी सस्थान को महत्व दे तो ये व्यापार कुछ हद तक खत्म हो सकती है।
फिर भी जड़ से खत्म नही होगा । 
अच्छे नंबर लाने वाले तो कुछ ही विद्यार्थी है पर कम नंबर लाने वाले कि तदात जायद है। जिससे हर पेरेंट को अपने बच्चे के  भविष्य की चिंता होती है । और वो निजी स्कूलों सस्थान में उनका एडमिशन डोनेशन अच्छे रकम देकर करा देते है। 
हर निजी सस्थान में भी एक सरकारी सस्थान की तरह एक नियम कायदे कानून बना दे कि इतना ही रकम आप ले कसते है तो कुछ हो सकता है।
आज अपना देश तरक्की कर तो रहा है इसमें कोई शक या मनसा नही है। पर क्या आप जानते है आज जो शिक्षा मिल रही है वो सरकारी स्कूल या सरकार के द्वारा चलाये जाने वाले 
स्कूल स्थान में नही बल्कि प्राइवेट स्कूल कालेज ट्यूशन से मिल रही है।
 यही तो 
आज शिक्षा भी एक बहुत बड़ा व्यापार बन गया है।
चारो तरफ सिर्फ बड़े बड़े होडिंग लागाये जाते है हमारे सस्थान में 100℅ जॉब गारंटी प्लेसमेंट वगेरा वगेरा ।
इस कोचिक सस्थान में पढ़कर आप iit में एडमिशन मिल जाएगा । और बहुत तरह की बाते होती है।
और आज के बच्चे भी स्कूल के भरोसे नही सिर्फ ट्यूशन के भरोसे अपनी पढ़ाई कर रहे है। 
बुक को सिर्फ मात्र देखा जा रहा और नोट्स के सहारे पूरी पढ़ाई हो रही है। अगर बच्चे खुद ही बुक को हर दिन के हिसाब से एक चेप्टर या पैराग्राफ पढ़कर खुद नोट्स बनाये तो तरक्की और उनका विकास निश्वित है।
आज शिक्षा बहुत बड़ा व्यापार बन गया है। 
पहले कहते थे ज्ञान बाटने ने बढ़ती है। पर आज ज्ञान बाटने 
के एवज में काफी बड़ी रकम चुकानी पड़ती है। जिसके पास ज्ञान है वो ज्ञान तो सिर्फ पैसे के लिए बेच रहा है। वो ज्ञान बाट तो रहा पर सिर्फ लक्ष्मी के लिए ।
पर यह भी गलत नही जिसके पास जो है हुनर वो उससे ही अपना जीवनोपार्जन का साधन बनाएगा । 
सिस्टम ही कुछ ऐसा हो गया है आजकल की हर कोई सिर्फ अपने बच्चे को अच्छे ट्यूशन में भेजना चाहता है। 
क्योंकि आज हर माँ - बाप अपने बच्चे को खुद नही पढा रहे
है। और बच्चे भी दोस्ती के चक्कर मे मेरा दोस्त टयूशन जा रहा मैं भी जाऊँगा ऐसा सोच कर चला तो जाता है।
पर उस बच्चे का मन पढ़ाई में नही बल्कि कुछ और गलत चीजो में लग जाता है। 
अधिकत बच्चे ट्यूशन जाकर बिगड़ रहे है। 
वयापार के इस दौर मे, शिक्षा भी आज बिकने लगी है। जिस ज्ञान के अधिकारी ये विद्यार्थी है, वही ज्ञान उन्हे पैसो से खरीदना पड़ रहा है। लेकिन इस धनदे मे सबसे ज़्यादा अगर किसी का फायदा है, तो वो है स्कूल टीचेर्स द्वारा खुले गए प्राइवेट टीउसनस का। और अगर विद्यार्थी ऐसा करने से माना कर दे, तो इसका बदला उनके शिक्षक सीधा परीक्षा के अंको मे से ही निकालते है। गुजरे कुछ वर्षो से चला आ रहा इस काले धनदे के विरोध के तहत, कई विद्यार्थियों का भविष्य नष्ट हो चुका है। 
टीचर भी आज जितना स्कूल में नही पढ़ाते वही टीचर अपने टयूशन में पूरा डिटेल से पढ़ा रहे । जब उन्हें इतना ज्ञान है तो 
जो वो शेलरी ले रहे स्कूल से तो वहां क्यो नही पढ़ाते मुझे यही समझ नही आ रहा ।
सरकारी स्कूल के टीचर प्रवेत स्कूल के टीचर के बराबर मतलब कहु तो ज्यादा ज्ञान होत है। पर वो जॉब लग जाने के बाद खर्च नही करते । 
वो खुद अपने बच्चे को नही पढा रहे ।
जब हर एक व्यक्ति सरकारी स्कूल की तरफ रुख़ मोड़ ले अपने बच्चे को पढ़ाने की तो देखना शिक्षा में जो व्यापर चल रहा सारा खत्म हो जाएगा।

- प्रेमयाद कुमार नवीन



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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 05:03 PM

सही लिखा आपने

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